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महानिदेशक का संदेश

भारत देश एक ऐसे मोड पर आ खड़ा है जहां से वह विश्‍व के विकसित राष्‍ट्र संघ में शामिल होने जा रहा है। देश में ‘जनसंख्‍या लाभांश’ पाने तथा प्रतिव्‍यक्ति आय को वास्‍तविक रूप से बढ़ाने के लिए ‘सृजनात्‍मक कार्य’ दृष्टिकोण पर बल देना ही समय की मांग है। ग्रामीण लोगों के कल्‍याण हेतु सभी कार्यकर्ताओं के व्‍यापक तथा उत्‍कृष्‍ट क्षमता निर्माण, कार्य अनुसंधान विकास एवं व्‍याव‍हारिक बदलाव चाहे प्रत्‍यक्ष हो या अप्रत्‍यक्ष उसके लिए रणनीति की आवश्‍यकता है। निर्धारित समय सीमा में ऐसे करोड़ो कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रौद्योगिकी को कई गुणा बढ़ाने के ‘सृजनात्‍मक कार्य’ दृष्टिकोण एवं अन्‍य प्रबंधन उपकरण, कार्यकर्ताओं की क्षमताओं का निर्माण, लोगों के अभिव्‍यवहार में बदलाव लाने तथा अभिनवता को बढ़ाने और प्रौद्योगिकी विस्‍तार आदि भावी कार्य हो सकते हैं। यह कार्य आसान नहीं है। इसलिए ‘समान विचारवाले’ लोगों और संस्‍थाओं के साथ सहयोग, नेटवर्किंग और आपसी विचार-विमर्श नितांत आवश्‍यक है। ऐसे गठबंधन के लिए एनआईआरडी एवं पीआर एक मंच होगा । अत:राष्‍ट्रीय, अंतरराष्‍ट्रीय विचारकों / अनुसंधानकर्ताओं /ग्रामीण विकास तथा संबंधित क्षेत्रों के अभ्‍यासकर्ताओं के साथ सहयोग की आवश्‍यकता है ताकि गरीबी उन्‍मूलन कर लोगों में हमेशा खुशहाली लायी जा सके।

एनआईआरडीपीआर में एक सुदृढ़ और सुदक्ष शिक्षाविद, अनुसंधानकर्ता, प्राध्‍यापक एवं सहायक सेवा कर्मचा‍री उपलब्‍ध है जो इस महत्‍तर कार्य को करने में सक्षम है तथा व्‍यक्ति को उच्‍चतर प्रतिव्‍यक्ति आय दिलाने तथा विकास परिदृश्‍य का सृजन कर देश के करोड़ो लोगों को जिन्‍हें विकास के लाभ नहीं मिले है या बहुत कम मिले हैं उन्‍हें खुशी दे सकते हैं। यह दशाब्दि एनआईआरडी एवं पीआर तथा देश के लिए मील का पत्‍थर साबित होगा।

 

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